इलाज के दौरान चिकित्सा लापरवाही का मामला, राजप्रिय हास्पिटल के संचालक डॉ. राजकृष्ण शर्मा की अपील सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज , देनी होगी हर्जाने की राशि

by Kakajee News

रायगढ़। चिकित्सा लापरवाही के एक गंभीर मामले में स्थानीय राजप्रिय हास्पिटल के सचालक डॉ. राजकृष्ण शर्मा के द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग न्यायालय के आदेश 09 जुलाई 2020 के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में एक ैस्च्;ब्द्ध 3349ध्2021 राजकृष्ण शर्मा विरूद्ध चन्द्र भूषण मिश्रा एवं अन्य 13 फरवरी को अपील फाईल की गई थी, जिस पर माननीय उच्चतम न्यायालय की युगल पीठ (जस्टिस डॉ.डी.वाई.चन्द्रचुड एवं जस्टिस एम.आर.शाह) के द्वारा प्रकरण पर प्रारंभिक सुनवाई में ही अपील को 05 मार्च को खारिज कर दिया गया। इससे पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग रायपुर द्वारा चिकित्सकीय लापरवाही के संबंध में डॉ. राजकृष्ण शर्मा एवं निजी अस्पताल के संचालक रायगढ़ तथा डॉ. अजय शेष पेथोलाजिस्ट (रेणुका डायग्नोस्टिक्स पैथालॉजी) कोरबा को 12 मई 2017 में पारित आदेश अनुसार स्थानीय नृसिंह मंदिर कोष्टापारा निवासी चन्द्रभूषण मिश्रा एवं उनके नाबालिक पुत्रों मा.उत्कर्ष एवं आदर्श मिश्रा को रूपयें 12 लाख, ं9ः वार्षिक ब्याज सहित हर्जाना अदा करने का आदेश पारित किया गया था।
प्रकरण का सारांश इस प्रकार हैः-शिकायतकर्ता चन्द्र भूषण मिश्रा की पत्नि श्रीमती शुभलक्ष्मी मिश्रा के पेट में दर्द होने पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुचित्रा त्रिपाठी को दिखाया गया, उनके द्वारा सोनोग्राफी करने की सलाह दिए जाने पर डॉ. ज्योतसना मिश्रा से सोनोग्राफी कराई गई, जिसमें रिपोर्ट टिवस्टेड ओवरियन सिस्ट बताया गया, तब मरीज की दोबारा सोनोग्राफी डॉ. आलोक केडिया से कराई गई, जिसमें पेल्विस में ट्यूमर (सिस्ट) बताया गया था। उक्त रिपोर्ट को परिवादी द्वारा निजी हास्पिटल में 09 फरवरी 2011 को संचालक के हैसियत से पदस्थ सर्जन डॉ. राजकृष्ण शर्मा से संपर्क किया गया तब उनके द्वारा मरीज को जल्द भर्ती कर आपरेशन करने की सलाह दी गई, तद्नुसार मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

डॉ. राजकृष्ण शर्मा द्वारा मरीज का 10 फरवी 2011 को आपरेशन कर एक ओव्हरी सहित ट्यूमर एवं फेलोपियन टयूब निकालने संबंधी कथन एवं बायोप्सी की रिपोर्ट डॉ. अजय शेष, पैथालाजिस्ट कोरबा से प्राप्त किया गया। तद्नुसार बायोप्सी की रिपोर्ट मे कैंसर के लक्षण नही पाए गए संबंधी कथन किया गया था। आपरेशन पश्चात मरीज का स्वास्थ्य निरंतर खराब होता रहा तथा बाद में गर्भावस्था दौरान ओवेरियन कैंसर की जानकारी होने पर मरीज का ईलाज अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली मे कराया गया, तथा नियमित कीमोथेरेपी दी गई, एम्स नई दिल्ली के चिकित्सकों द्वारा आपरेशन दौरान दोनो ओव्हरी, फेलोपियन ट्यूब एवं मांॅस पाया गया और उसे निकाल दिया गया। जबकि डॉ. राजकृष्ण शर्मा द्वारा पूर्व में ही एक ओव्हरी निकाले जाने संबंधी कथन अपने जवाब एवं मेडिकल रिकार्ड में दर्ज किए गए थे। तद्नुसार माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग रायपुर द्वारा उक्त आपरेशन जो डॉ.राजकृष्ण शर्मा द्वारा किया गया को पूर्णतः त्रुटिपूर्ण माना और आदेश में लेख किया कि एम्स नई दिल्ली में दोनो ओव्हरी आपरेशन के दौरान पाए गए तथा डाक्टर सहित निजी अस्पताल के संचालक (जो कि डॉ.रामकृष्ण शर्मा तत्कालीन समय में स्वयं थे) को चिकित्सा लापरवाही के मामले में दोषी एवं सेवा में कमी मानते हुए परिवादी चन्द्र भूषण मिश्रा एवं उनके पुत्र उत्कर्ष मिश्रा व आदर्श मिश्रा की शिकायत को स्वीकार करते हुए रूपयें 12 लाख हर्जाने एवं 9ः वार्षिक ब्याज की दर सहित अदा करने का आदेश पारित किया गया था। इस आदेश के विरूद्ध दोनो पक्षकारों द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग न्यायालय के समक्ष प्रथम अपील फाईल की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय आयोग द्वारा राज्य उपभोक्ता न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नही पाते हुए अपील को 09 जुलाई को डिसमिस किया गया था। उक्त आदेश के विरूद्ध परिवादी/शिकायतकर्तागण चन्द्र भूषण मिश्रा द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में ैस्च्;ब्द्ध 011971ध्2020 06 अक्टूबर को फाईल किया गया, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय की तीन बेंच (जस्टिस डॉ. डी.वाई.चन्द्रचुड, जस्टिस इंदू मल्होत्रा, जस्टिस इंदिरा बैनर्जी) की खण्डपीठ द्वारा 27 नवंबर को प्रकरण प्रारंभिक सुनवाई में ग्राह्य करते हुए विपक्षी पक्षकार डॉ. राजकृष्ण शर्मा, निजी अस्पताल के संचालक एवं डॉ. अजय शेष पैथालाजिस्ट कोरबा को नोटिस जारी करने का आदेश पारित करते हुए प्रकरण की आगामी सुनवाई 12 अर्पैल को नियत की गई है। उक्त आदेश के विरूद्ध डॉ. राजकृष्ण शर्मा द्वारा भी माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष ैस्च्;ब्द्ध 3349ध्2021 फाईल की गई, जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय की युगलपीठ द्वारा प्रारंभिक सुनवाई में ही अपील को 05 मार्च को निरस्त कर दिया गया।

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