बेटे को देखने की चाहत में महिला ने अपनी जवानी गुजार दी. बुढ़ापे में जब वो 74 साल की हुई तब आकर उसे अपने बेटे के अवशेष हासिल हो सके. मां की ममता को मर्माहत करती रुला देने वाली यह कहानी है सात समुंदर पार ब्रिटेन की.
यह कहानी है उस बदनसीब मां और बेटे के बीच की, जो जन्म के एक सप्ताह बाद ही बिछुड़ गए थे.मतलब सन् 1975 में जन्म के सात दिन बाद ही बेटे की मौत हो गई थी. तब से अब तक बेटे के अवशेष भी मां को देखने के लिए नसीब नहीं हो सके थे. सन् 1975 में जन्म देने के एक सप्ताह बाद ही बेटे से बिछड़ी बदनसीम मां लीडिया रीड (74) मूल रूप से स्कॉटलैंड के एडिनबरा की रहने वाली है. जन्म देने के एक सप्ताह बाद ही बेटे से जुदा हो गई मां लीडिया रीड तभी से बेटे की तलाश में दुनिया-जहान में जद्दोजहद कर रही थी. इसके बाद भी मगर उसकी कोई कोशिश कामयाब नहीं हो सकी. उसे यह भी पता नहीं चल सका कि आखिर उसके बेटे के साथ जन्म के सात दिन बाद ही क्या हुआ? वो गायब कैसे और कहां हो गया?
बाद में मां लीडिया रीड को पता चला कि उसके बेटे की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई थी. तब मां ने बेटे की लाश तलाशने के लिए जद्दोजहद करनी शुरू की. क्योंकि वो जानना चाहती थी कि आखिर उसके बेटे के साथ, अगर कोई हादसा पेश भी आ गया हो तो वो हादसा क्या था? बेटे की मौत की खबर सुनकर मां लीडिया रीड को जब उसका ताबूत दिखाया गया तो, ताबूत में भी बेटे की लाश की मौजूदगी का कोई अवशेष नहीं मिला. इससे लाडिया रीड की निराशा और भी बढ़ गई. हालांकि इसके बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी. वो ब्रिटेन में एक ऐजेंसी से दूसरी एजेंसी के दरवाजे भाग-दौड़ में जुटी रही. मां लीडिया रीड की इस कोशिश का नतीजा यह निकला कि साल 2017 में कोर्ट ने कब्र से शव को बाहर निकालने का आदेश दे दिया. जब कब्र की खुदाई की गई तो पता चला कि ताबूत में तो उसके बेटे के शव के अवशेष थे ही नहीं. बेटे की मौत के बारे में बाद में लाडिया रीड को पता चला कि उसका बेटा रेसस नाम की बीमारी से ग्रसित होने के चलते, जन्म के सात दिन बाद ही मर गया था. यह बीमारी गर्भवती महिला के खून में एंटीबॉडी गर्भस्थ शिशु की रक्त कोशिकाओं को समाप्त कर देती है.
मां लीडिया रीड ने सरकारी एजेंसियों को यह भी बताया था जब उसने अस्पताल में दाखिल रहते हुए अपने बच्चे का शव देखना चाहा तो उसे उसके बच्चे का शव ना दिखाकर कोई और शव दिखाया गया था. लीडिया रीड ने तो सरकारी एजेंसियों पर यहां तक आरोप लगाया कि, उन्होंने मिलीभगत करके उसकी इच्छा (मां लीडिया रीड) के विरुद्ध उनके नवजात शिशु का पोस्टमॉर्टम तक करा डाला, जोकि सरासर किसी मजबूर बेबस मां को भावनाओं के साथ खुली खिलवाड़ सा था. मां लीडिया रीड का आरोप है कि उसके बेटे का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद उसके अंग भी निकाल लिए गए.
हालांकि ब्रिटेन की सरकारी एजेंसियों ने लीडिया रीड के सभी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया. क्राउन ऑफिस ने एडिनबरा रॉयल इन्फरमरी में रखे गए अंगों को अब आकर, मां लीडिया रीड के हवाले करने की अनुमति दी है. मतलब, करीब 46 साल के इंतजार के बाद अब मां को उम्मीद जागी है कि, सात दिन की छोटी सी उम्र में ही उससे बिछुड़ चुके उसके बेटे के अवशेष ही अब उसे (बदकिस्मत मां को) शायद 46 साल बाद देखने को मिल सकें.