हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के मनोचिकित्सक डॉ. रॉबिन विक्टर का कहना है कि बच्चों में एडीएसडी (अटेंशन डेफिशिएट हाइपर एक्टिव डिस्ऑर्डर) की समस्या बढ़ गई है। इसमें बच्चे में एकाग्रता की कमी हो जाती है और बच्चा लापरवाह हो जाता है। यह डिसऑर्डर लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में दोगुना होता है।
इसमें इंटरनेट, नशे की लत की समस्या भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि बच्चे अपने माता-पिता को पार्टियों में नशे का सेवन करते देखते हैं। टीवी, फिल्मों में भी यह दिखाया जाता है। ऐसे में बच्चे भी नशा करना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं और बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में भी बच्चे बिगड़ जाते हैं।
ऑनलाइन गेम कर रहे बर्बाद
डॉ. रॉबिन ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार चार फीसदी लड़कों और दो फीसदी लड़कियों में इंटरनेट अधिक उपयोग करने की लत होती है। इससे नींद न आने, सिर दर्द, एकाग्रता की कमी हो जाती है। इसके अलावा लड़कों में मारधाड़ वाले ऑनलाइन गेम की लत से आक्रामकता बढ़ रही है। इससे वह आसपास के लोगों, शिक्षकों और दोस्तों से भी झगड़ा करने लगते हैं और तनाव, अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं।
नशे की लत छुड़ाने ओपीडी में आ रहे रोजाना आठ बच्चे
कोरोनेशन अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. निशा सिंघला ने बताया कि नशे की लत के रोजाना 25 से 30 मरीज ओपीडी में आते हैं। इनमें से आठ लड़के 14 से 18 साल तक के होते हैं। ऐसे मामलों में लड़कियों की संख्या शून्य है।
अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक हो रहीं लड़कियां
डॉ. निशा ने बताया कि स्थिति बदल रही है। लड़कियां भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं और बेहतर करने का प्रयास कर रही हैं। बेटियों को लेकर माता-पिता भी जागरूक हो रहे हैं।
– उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं में लड़कियां का पासिंग प्रतिशत 89.28 प्रतिशत और लड़कों का 77.75 प्रतिशत रहा। वहीं, 12वीं में 82.04 प्रतिशत लड़कियां और 74.24 प्रतिशत लड़के पास हुए।
– सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में 12वीं में लड़कों की तुलना में लड़कियों का पासिंग प्रतिशत 6.01 फीसदी ज्यादा रहा।
– काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन के परिणाम में 12वीं में दो छात्राओं ने 99 फीसदी अंक हासिल कर संयुक्त रूप से उत्तराखंड में टॉप किया। वहीं, 10वीं में भी लड़कों की तुलना में लड़कियों का पासिंग प्रतिशत 1.98 फीसदी ज्यादा रहा।
– संघ लोक सेवा चयन आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में उत्तराखंड के 12 युवाओं ने सफलता हासिल की है। इसमें पांच लड़के और सात लड़कियां शामिल हैं।