Road Safety Campaign Dhar: धार, सड़क हादसे के बाद देखने में आता है कि लोग दुर्घटनाग्रस्त लोगों का मोबाइल से वीडियो बनाने लगते हैं और इसके बाद उसे इंटरनेट मीडिया पर डाल देते हैं। उस दुखद घड़ी के समय यदि लोगों को सही समय पर मदद मिल जाए तो वह अपने आप में महत्वपूर्ण होता है। खासकर गोल्डन आवर में मदद मिलना एक बहुत बड़ा राहत का विषय हो सकता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी लोग केवल वीडियो बनाते हैं। गणपति घाट में वहां के मंदिर के पुजारी से लेकर अन्य कई लोग इसमें बड़े स्तर पर मदद करते हैं। घायलों से लेकर मृतकों के मामले तक में भी मदद की जाती है। ऐसी संवेदनशीलता भी मिलती है। लेकिन अधिकांश स्थानों पर लोग डर के कारण या कानूनन कार्रवाई से बचने के लिए इस तरह का कदम नहीं उठाते हैं। जबकि शासन द्वारा योजना लागू की जा चुकी है कि कोई भी व्यक्ति यदि समय पर मदद करता है तो उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की जाती है। बल्कि उसे धन्यवाद दिया जाता है।
यहां तक कि गुड सेमेरिटन योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को एक राशि भी दिए जाने का प्रविधान है। इसमें मददगार को 5000 रुपये तक भी दिए जाते हैं। इस तरह से गुड सेमेरिटन योजना ने कहीं न कहीं लोगों को प्रेरित भी किया है। हालांकि इनकी संख्या अभी भी कम है। गुड सेमेरिटन योजना के तहत सम्मानित करने का बजट समय पर नहीं आता है। जिले में दो लोगों को सम्मानित किया जाना प्रस्तावित है। इसकी राशि का इंतजार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में धार जिला हादसों के मामले में प्रथम स्थान पर है। यहां पर सर्वाधिक हादसे हो रहे हैं। उन हादसों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या भी अधिक है। ऐसे में यह बात सामने आती है कि यदि इन लोगों की गोल्डन आवर में मदद की जाए यानी घायलों को यदि समय पर उपचार मिल जाए तो वह अपने आप में बड़ी राहत होगी। इस बारे में विशेषज्ञ विनोद डोंगले ने बताया कि हम यह देखते हैं कि गणपति घाट पर जो हादसा होता है तो कई लोग वीडियो बनाने लग जाते हैं। लोग वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट मीडिया पर डालते हैं। लेकिन इस बात का कतई ध्यान नहीं रखते हैं कि वह घायलों को तुरंत मदद पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं। वे कम से कम पुलिस को या एंबुलेंस को तत्काल सूचना करते हैं।
जब तक पुलिस एंबुलेंस की सहायता नहीं पहुंच जाती है तब तक वे लगातार संपर्क में रहते हैं। उसी के चलते घायलों को मदद मिलती है। गणपति घाट के आसपास के क्षेत्र के लोगों की सराहना करना होगी। उन्होंने बताया कि मंदिर के पुजारी से लेकर गणपति घाट के आसपास के क्षेत्र के युवक जो होटल संचालक हैं, वे अपने -अपने स्तर पर हादसे होने पर बहुत ज्यादा मदद करते हैं। यह गुड सेमेरिटन का एक उदाहरण भी हो सकता है। इस बारे में पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती हैै। विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचती है। उन्होंने बताया कि गणपति घाट पर जब बड़ा हादसा होता है तो तुरंत समाजसेवी पहुंच जाते हैं।
वहां पर घायलों के स्वजनों को सूचना देने से लेकर अन्य कई मामले में मदद करते हैं। इस तरह की मदद भी अपने आपमें महत्वपूर्ण है। घायलों को वहां से एंबुलेंस या निजी वाहनों में पहुंचाना भी अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस बारे में मनोवैज्ञानिक मयंक तिवारी ने बताया कि निश्चित रूप से लोग इस मामले में एक डर महसूस करते हैं। डर इस बात का होता है कि पुलिस का रवैया कहीं उनके प्रति चिंताजनक न हो ।इसलिए कई बार लोग मनोवैज्ञानिक तरीके से इस मामले में अपने आपको बचाने के लिए घटनास्थल से बहुत तेजी से रवाना हो जाते हैं। सूचना भी करना उचित नहीं समझते। जबकि यदि ऐसी स्थिति है तो कम से कम पुलिस को या हंड्रेड डायल को या फिर एंबुलेंस को तुरंत सूचना करना मानवीय जिम्मेदारी है ।
गुड सेमेरिटन योजना क्या है
यह केंद्र सरकार की योजना है जिसके अंतर्गत कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत सड़क दुर्घटना के समय पीड़ित व्यक्ति की मदद करने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि पांच हजार रुपये दी जाती है। केंद्र सरकार इस योजना में राज्य सरकार को बजट देती है जिसे प्रपोजल बनाकर आवंटन लिया जाता है और प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसके साथ ही विजन जीरो योजना के अंतर्गत परिवहन व स्वास्थ्य विभाग और सडक निर्माण एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर दुर्घटना के कारणों को ज्ञात कर परिशोधन कार्य भी किए जाते हैं।