महंगाई के आंगन में उतरीं सब्जियां भाव खाने लगी हैं। टमाटर का रंग-स्वाद भले ही न बदला हो, पर भाव खाने में वह सबसे आगे है। 80-120 रुपये किलो का भाव सुनकर भले ही मुंह बिदकाएं, पर जीभ को कैसे समझाएं। मन मसोस कर ही सही, जेब तो ढीली करनी ही पड़ रही है। परवल, बैंगन, धनिया, कद्दू सब इतराने लगे हैं। गरम प्याली में भी उफान कुछ ज्यादा है। चाय की चुस्की पर इन दिनों अदरक के चर्चे हो रहे हैं। अब तो सब्जी मंडियों में इन दिनों एक नजारा आम है।
महिलाएं दाम पूछते ही तपाक से कहती हैं-सब्जी बेच रहे हो या सोना। भइया अभी दो दिन पहले तो इतने रुपये में ले गए थे, अब कौन से सुर्खाब के पंख लग गए…। दुबग्गा सब्जी मंडी के महामंत्री शहनवाज से हमने आम महिलाओं यही सवाल पूछा। वह बताते हैं, टमाटर के दाम बढ़ने का मुख्य कारण- आपूर्ति का कम होना है। क्योंकि, प्रदेश में पैदा होने वाला टमाटर कम हो गया। ऐसे में बंगलूरू से टमाटर मंगाया जा रहा है।
अलग-अलग सब्जी मंडियों में फुटकर कीमतों में काफी अंतर रहता है, इसके कारण भी भाव ज्यादा लग रहे हैं। कब तक ऐसे हालात रहेंगे, इस सवाल पर वह कहते हैं-आने वाले दिनों में अगर ठीक से बारिश हो गई, तो दामों में और तेजी देखने को मिल सकती है।