सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट के कमांडर राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है। रिहाई के बाद उन्हें बीजापुर के सीआरपीएफ कैंप में वापस लाया गया है। माओवादियों ने बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में हमले के बाद उन्हें अगवा कर लिया था। इस हमले में 23 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 31 घायल थे। राकेश्वर सिंह की रिहाई के बाद परिवार में जश्न का माहौल है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई के लिए राज्य सरकार द्वारा दो प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिए नामित किये जाने के बाद रिहा कर दिया गया। राज्य सरकार द्वारा नामित दो सदस्यीय दल में एक सदस्य जनजातीय समुदाय से थे।
जम्मू में कोबरा कमांडर के घर में नाच-गाने के बीच उनकी पत्नी मीनू ने कहा कि उन्हें आधिकारिक रूप से सूचित किया गया है कि उनके पति सुरक्षित रूप से वापस आ गए हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा है।” उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का सबसे अधिक खुशी वाला दिन बताते हुए कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि पति सकुशल घर वापस आएंगे। नक्सिलयों ने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की थी। नक्सलियों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा था कि 3 अप्रैल को सुरक्षा बल के दो हजार जवान हमला करने जीरागुडेम गांव के पास पहुंचे थे, इसे रोकने के लिए पीएलजीए ने हमला किया है। नक्सलियों ने कहा था कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।
राज्य के सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को रवाना किया गया था। इस अभियान में जवान राकेश्वर सिंह भी शामिल थे। शनिवार को टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवानों की मृत्यु हो गई तथा 31 अन्य जवान घायल हो गए। वहीं आरक्षक राकेश्वर सिंह लापता हो गए। शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं।